ड्रम स्टिक (सहजन) क्या है ?





सहजन को मुनगा, मोरिंगा या सुरजना के नाम से जाना जाता है । इसका वनस्पतिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa oleifera) है। इसकी ख़ासियत एक बड़ी ख़ासियत यह भी है कि यह कमजोर जमीन पर भी बग़ैर सिंचाई व देखभाल के सालों भर हरा-भरा रहता है
सहजन या मुनगा केपौधे के सभी भागों, फल,फूल,पत्ती, का प्रयोग भोजन,दवा औद्योगिक कार्यो आदि में किया जाता है। मुनगा या मोरिंगा में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व व विटामिन है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार सहजन में दूध की तुलना में चार गुना पोटेशियम,संतरा की तुलना में सात गुना विटामिन सी पायी जाती है। इसके साथ सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है।देश की कई आयुर्वेदिक कम्पनियाँ जैसे ayur, patanjali, संजीवन हर्बल कम्पनी सहजन से दवा बनाकर (पाउडर, कैप्सूल, तेल बीज आदि) विदेशों में निर्यात कर विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहे हैं ।
मिट्टी
सहजन की खेती की सभी प्रकार की मिट्टियों में जा सकती है। बेकार, बंजर और कम उर्वरा भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है, किंतु व्यवसायिक खेती के रूप में, जहाँ पर साल में दो बार फलनेवाला सहजन के प्रभेदों के उद्देश्य से मुनगे की खेती की जाती है। वहाँ पर सहजन की खेती के लिए मिट्टी का चयन 6-7.5 पी.एच. मान वाली बलुई दोमट मिट्टी करें।
जलवायु
कम या ज्यादा वर्षा से पौधे को कोई नुकसान नहीं होता है।सहजन की खेती को पाला से नुकसान होता है। सामान्यतया 25-300 के औसत तापमान पर सहजन के पौधा का हरा-भरा व काफी फैलने वाला विकास होता है।
सहजन की क़िस्में
ODC
पी.के.एम.1,
पी.के.एम.2,
कोयेंबटूर 1
कोयेंबटूर 2
ज्योति -1
ODC एक प्रसिद्ध किस्म है जिसे पूरे भारत में व्यापक रूप से उगाया जा रहा है और हाल ही में इसकी उपज और स्वाद और उपभोक्ता वरीयता के लिए ड्रमस्टिक किसानों के बीच बहुत प्रशंसा और जागरूकता प्राप्त कर रहा है
ODC विशेषताएं:
ODC विशेषताएं:
1. फल स्वादिष्ट होते हैं।
2. यह बुवाई के 3-4 महीने के भीतर फूल आता है और 6 महीने में कटाई होती है।
3. पौधे एक वर्ष में 8 – 10 फीट की ऊँचाई तक बढ़ते हैं और 6-10 प्राथमिक शाखाएँ बनाते हैं।
4. फूल 50 – 200 / क्लस्टर के समूहों में होते हैं, केवल एक फली आमतौर पर विकसित होती है और शायद ही कभी 3-5 प्रति क्लस्टर विकसित होती है।
5. फली 2 फीट से 2.5 फीट लंबी होती है,
6. किस्म की औसत उपज 300 फल / वृक्ष हैं।
7. अनुमानित उपज प्रति वर्ष लगभग 25 -30 टन प्रति एकड़ है
खेत की तैयारी :
सहजन के पौध की रोपनी में गड्ढा बनाकर किया जाता है। सहजन की खेती (sahjan kheti) खेत को अच्छी तरह खरपतवार से साफ़-सफाई का 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. आकार का गड्ढा बनाते हैं। गड्ढे के उपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ा हुआ गोबर का खाद मिलाकर गड्ढे को भर देते हैं। इससे खेत पौध के रोपनी हेतु तैयार हो जाता है।
खाद व उर्वरक–
मुनगे या सहजन की रोपाई के एक महीने के बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश प्रति गड्ढा की दर से डालें । तथा इसके तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा का उर्वरक दें । वैज्ञानिकों द्वारा सहजन पर किए गए शोध से यह पाया गया कि मात्र 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति गड्ढा तथा एजोसपिरिलम और पी.एस.बी. (5 किलोग्राम/हेक्टेयर) के प्रयोग से जैविक सहजन की खेती अच्छी उपज ली जा सकती है।
यदि आपने रूसी उत्पाद “Organix” का उपयोग किया है, तो अधिक यूरिया देने की आवश्यकता नहीं है, और आप पौधे बड़े पैमाने पर विकसित करेंगे।
सिंचाई व खरपतवार रोकथाम
सहजन की खेती (sahjan kheti) से अच्छी उपज लेने हेतु सिंचाई करना बहुत ज़रूरी है। सहजन के पौध में सामान्य जल माँग होती है। बीजों के अंकुरण के समय नमी का होना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा पौधों में फूल लगते समय मिट्टी न अधिक शुष्क हो और ना भी अधिक नमी। अधिक नमी या सूखा होने से फूल झड़ जाते हैं।
वैसे तो मुनगे में खरपतवार की देखभाल की आवश्यकता नही होती है। फिर भी मुनगे के पेड़ के आस पास उगे खरपतवार निराई कर हटा देना चाहिए। पौधे के जड़ों में मिट्टी भी चढ़ा देना चाहिए।
पौध सुरक्षा –
भुआ पिल्लू कीट –
सहजन पर लगने वाले इस कीट के प्रति गम्भीर रहे। क्योंकि यह सम्पूर्ण पौधे की पत्तियों को खा जाता है इसके साथ आसपास में भी फ़ैल जाता है। अंडा से निकलने के बाद अपने नवजात अवस्था में यह कीट समूह में एक स्थान पर रहता हैं बाद में भोजन की तलाश में यह सम्पूर्ण पौधों पर बिखर जाता है।
रोकथाम –
इसके नियंत्रण के लिए सरल और देशज उपाय यह है कि कीट के नवजात अवस्था में सर्फ को घोलकर अगर इसके ऊपर डाल दिया जाय तो सभी कीट मर जाते हैं। वयस्क अवस्था में जब यह सम्पूर्ण पौधों पर फ़ैल जाता है तो एकमात्र दवा डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करने से तत्काल लाभ मिलता है।
फल मक्खी –
सहजन के पौधे पर फल पर इस कीट का कभी-कभी हमला होता है ।
रोकथाम –
इस कीट के नियंत्रण हेतु भी डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. दवा एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने पर कीट का नियंत्रण होता है।
उपज
प्रत्येक पौधे से लगभग 200-400 (40-50 किलोग्राम) सहजन सालभर में प्राप्त हो जाता है।
लाइन से लाइन की दूरी 10 फिट और प्लांट से प्लांट की दूरी 8 फिट रखी जाती है, एक एकड़ खेत में 544 पौधे लगाए जाते हैं। यदि एक पौधा 40 किलोग्राम देता है, तो 544 पौधे 21,760 किलोग्राम उत्पादन देंगे, यदि पूरी बिक्री का मूल्य 30 रुपये प्रति किलोग्राम है तो कुल अर्जित धन 6,52,800 होगा।
इसके अलावा अगर आप पत्तियों को बेच पाते हैं तो पत्तियों से भी कमाई हो सकती है। वर्तमान में सूखी मोरिंगा पत्तियों की थोक कीमत 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम है। एक पौधा प्रति वर्ष 4-5 किलोग्राम पत्तियां देता है, अगर हम एकल पौधे से 2.5 किलो सूखे पत्ते मानते हैं, तो 544 पौधा 1360 किलोग्राम पत्तियों देगा, जिसकी कीमत लगभग 40,800 रुपये होगी।